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शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

बंद कर लो बयाज़ों को
अभी बहुत लंबा चलना है
फिर हिसाब कैसा!
कि वक्त की रहगुज़र में
कितने ही पडाव हैं
जहां सिर्फ दुःख ही हैं
जो तुम्हारा रास्ता देख रहे हैं
- लोरी

जब तुम पास होते हो
मेरे सारे जज़्बात अनाम रहतें हैं
और जब दूर चले जाते हो
तो तन्हाई
मेरे सारे जज्बों को
उनवान दे बैठती है
ये मोहब्बत की इन्तेहाँ नहीं
तो और क्या है
- लोरी

3 टिप्‍पणियां:

Amit Chandra ने कहा…

ehsas par tippni karne ke liye dhanyabad

Amit Chandra ने कहा…

bahut achchhi rachna hi.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

bahut pyaari kavitaayen hain......lori....bilkul aapke naam kee tarah.....sach....!!!