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मंगलवार, 20 सितंबर 2011

ख़ुदा हाफिज़






मरहबा मरहबा , खुदा हाफिज़
ऐ वफ़ा आशना ख़ुदा हाफिज़

कोई उनका ख़ुलूस तो देखे
क़त्ल करके कहा ख़ुदा हाफ़िज़

अच्छा अब फिर मिलेंगे ऐ नासेह!
उनका घर आ गया ख़ुदा हाफिज़

जाने क्योँ आज साज़े-हस्ती से
आ रही है सदा ख़ुदा हाफिज़

वक्ते- आखिर वो मुझसे यूँ बोले
आज से आपका ख़ुदा हाफिज़

बैठे बैठे हयात ने अख्तर
दफ'अतन ये कहा ख़ुदा हाफिज़
- अख्तर ग्वालियरी

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

तुम्हारे लिए....!



मैंने मासूम बहारों में तुझे देखा है
मैंने मोहूम इशारों में तुझे देखा है
मेरे महबूब! तेरी पर्दानशीं की कसम
मैंने अश्कों कि कतारों में तुझे देखा है.....
-साहिर लुधियानवी