मरहबा मरहबा , खुदा हाफिज़
ऐ वफ़ा आशना ख़ुदा हाफिज़
कोई उनका ख़ुलूस तो देखे
क़त्ल करके कहा ख़ुदा हाफ़िज़
अच्छा अब फिर मिलेंगे ऐ नासेह!
उनका घर आ गया ख़ुदा हाफिज़
जाने क्योँ आज साज़े-हस्ती से
आ रही है सदा ख़ुदा हाफिज़
वक्ते- आखिर वो मुझसे यूँ बोले
आज से आपका ख़ुदा हाफिज़
बैठे बैठे हयात ने अख्तर
दफ'अतन ये कहा ख़ुदा हाफिज़
- अख्तर ग्वालियरी