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रविवार, 22 जुलाई 2012

चाँद मुबारक- परवीन शाकिर की क़लम से


पूरा दुःख और आधा चाँद
हिज्र की शब् और ऐसा चाँद

दिन में वहशत बहल गयी थी
रात हुई और निकला चाँद

यादों की आबाद गली में
घूम रहा है तन्हां चाँद

मेरी करवट पर जाग उट्ठे
नींद का कितना कच्चा चाँद

इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हाँ होगा चाँद

आंसू रोके, नूर नहाये
दिल दरिया तन सहरा चाँद

जब पानी मे चेहरा देखा
तूने किसको सोचा चाँद

बरगद की एक शाख हठा कर
जाने किसको झाँका चाँद

रात के शानों पर सर रक्खे
देख रहा है सपना चाँद

हाथ हिला कर रुखसत होगा
उसकी सूरत हिज्र का चाँद

सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क में सच्चा चाँद

रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद

16 टिप्‍पणियां:

Astrologer Sidharth ने कहा…

क्‍या रात को सोता होगा चांद ?



चांद मुबारक... :)

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

वाह!

अभी तो दिन के तीन बजे हैं
गज़ल पढ़ी और देखा चाँद।:)

चाँद मुबारक।

शिवनाथ कुमार ने कहा…

सिद्धार्थ जी का प्रश्न मेरी तरफ से भी :-)
बहुत ही सुंदर ....

चाँद मुबारक !!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

आलम भर में बांटे चांदनी,
खुद कितना तनहा है चाँद!

महीने भर रमज़ान निभाओ,
फिर निकलेगा ईद का चाँद!

ढ़पोरशंख

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

वाह ..बहुत सुंदर ....

उम्मतें ने कहा…

सोने वाले सवाल से पहले ये तो पूछ लीजिए कि अरे भाई ये चांद है कौन ? :)

उम्मतें ने कहा…

तप्त बनारस भरी दुपहरी
पांडेय जी ने देखा चांद :)

lori ने कहा…

सिद्दार्थ भाईजान! अली अंकल!
किस्मत ने चीढों के पीछे उगा दिया है मेरा चाँद
नज़ारा ही नही हो रहा उसका तो!
काश! इन शदीद बारिशों में, ब्लॉग की चिट्ठी पा कर
वह ज़रा अपने ज़मीन की तरफ खिसक आये!

lori ने कहा…

चाँद आपको भी सलामत! :)

lori ने कहा…

:)
आशीष जी!
चाँद पर एक और शेर आपकी नज़र-
चाँद किसी का हो नहीं सकता, चाँद किसी का होता है
चाँद की खातिर जिद नहीं करते, ऐ मेरे अच्छे इंशां चाँद!
-इब्ने इंशां.

lori ने कहा…

आपकी आमद पर शुक्रन अल्लाह!
:)
वही में सोंच रही थी:-
" बज़्म में चाँद के ज़िक्र छिड़ा
और आप अभी तक बाक़ी हैं
तन्हाँ आपको सोच रहें हैं
हम जो आपके साक़ी हैं...."

lori ने कहा…

शिव!
चमके अगर चाँद तो, दरीचे में रुक भी जाए....
(मगर कहीं चमके तो! :) )
आप आये अच्छा लगा.
साथ बना रहे.
चाँद आपको भी सलामत! :)

उम्मतें ने कहा…

मेरा वाला चांद दूज का है जब जब नाई मेहरबां तब तब दिखता है :)

Arshia Ali ने कहा…

इस शानदार रचना को पढवाने का शुक्रिया।

............
International Bloggers Conference!

zindgi ने कहा…

लिल्लाह ! चाँद.
"चाँद की चाहत, देखो कैसे भोले दिल को ले बैठी
मन का बचपन चाँद ही मांगे, जैसे एक खिलौना चाँद....."

Dayanand Arya ने कहा…

यही दुआ की हर शब चमके
सबका अपना - अपना चाँद । बहुत खुबसुरत ! ''़़़़़ नींद का कितना कच्चा चाँद ''