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रविवार, 27 अप्रैल 2014

मैं और तुम गर…।






नाश्ता, खाना,  बच्चे, कपडे, होमवर्क, बजट, पति का  गुस्सा, बीमा की पॉलिसी , इनका ब्लड प्रेशर , मेरी शुगर, माँ की बीमारी, सास के दर्द , देराणी - जेठानी  की रीत रस्मे और इनके बीच सिसकते उसके अरमान, समाज, दुनिया,घर परिवार!!!एक  सुबह  हुई नही कि  इतनी चिन्ताएं।  और रेडिओ वाले गाना सुनवा रहे हैं:

कितने हंसी मौसम हो जाते 
मैं  और तुम गर हम हो जाते।